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आईटी, निर्यातकों को होगा फायदा

चंडीगढ़/पंचकूला, 25 जून (नस) एक जुलाई से देश में शुरू होने जा रहे गुड्स सर्विस टैक्स से पूर्व रविवार को चंडीगढ़ में विशेषज्ञों ने जीएसटी के फायदों व चुनौतियों पर मंथन किया। विशेषज्ञों की सेमिनार में आम राय थी कि अभी तक निर्माण करने पर मैटीरियल पर सीएसटी और एक्साइज ड्यूटी को इनपुट क्रेडिट के […]
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चंडीगढ़/पंचकूला, 25 जून (नस)
एक जुलाई से देश में शुरू होने जा रहे गुड्स सर्विस टैक्स से पूर्व रविवार को चंडीगढ़ में विशेषज्ञों ने जीएसटी के फायदों व चुनौतियों पर मंथन किया। विशेषज्ञों की सेमिनार में आम राय थी कि अभी तक निर्माण करने पर मैटीरियल पर सीएसटी और एक्साइज ड्यूटी को इनपुट क्रेडिट के तौर पर नहीं लिया जाता था। पर अब जीएसटी के बाद इन्हें जीएसटी लाइबिल्टी के तहत दर्शाया जा सकेगा। जिससे प्रोजेक्ट की कीमत कम होगी। इससे सपष्ट है कि ज्यादा जीएसटी चुकाने से बिल्डर आईटीसी के तहत फायदा पा सकते हैं।
चाटर्ड अकाउंटेंट गौरव थापर ने कहा कि जीएसटी के तहत इंपोर्ट में बेसिक कस्टम ड्यूटी और आईजीएसटी लागू  होगी। देश के भीतर इंपोर्ट होने वाले सभी प्रकार के सामान और वस्तुओं को अंतर राज्य व्यापार और आईजीएसटी के तहत हर ट्रांजेक्शन के तहत टैक्स देना होगा। यदि आप किसी सर्विस को इम्पोर्ट करते हो तो जीएसटी के तहत ये सर्विस टैक्स में आएगा, जैसा अभी तक लगता आ रहा है। आईजीएसटी इसके उल्ट लागू होगा। इसके तहत सभी आनलाइन सॉफ्टवेयर आईजीएसटी के तहत शामिल होंगे जिसपर रिवर्स चार्जेज लगेंगे। पैनल डिसक्शन में ट्राईसिटी के आईटी विशेषज्ञों, बिल्डरों, उत्पादकों, ट्रेडर्स और सेवादाताओं ने जीएसटी से जुड़ी अपनी तमाम शंकाओं को दूर किया। बलविंदर सिंह ने जीएसटी के विभिन्न पहलुओं पर बात की। उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट पर जीएसटी जीरो रेटिड होगा, ऐसे में एक्सपोर्ट के दौरान कोई एक्सपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी हालांकि कुछ आईटम्स जिन पर अभी तक एक्सपर्ट ड्यूटी बकाया है उन्हें ये एक्सपोर्ट ड्यूटी चुकानी होगी। इसी तरह से साफ्टवेयर निर्यात करने पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा। जीएसटी के तहत सभी तरह के टैक्स उत्पाद या वस्तु के हासिल करते ही चुकाने होंगे, एक्सपोर्ट करने के बाद एक्सपोर्टर को इसका रिफंड मिल जाएगा।

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